रेत का किनारा | RET KA KINARA | HINDI POETRY ON LUCK - REASON & LIFE | किस्मत
रेत का किनारा ************************** ये किस्मत है जो खेल खेलती है रेगिस्तान में भी पानी देखती है जो मिल नहीं सकता मिलाती है उससे बंजर भूमि में भी हरयाली देखती है। हम तो कठपुतली है हाथों के इसकी मन चाहा हमसे ये खेल खेलती है जिन राहो को पीछे छोड़ आये है वही से गुजरने को फिर कहती है । जो बने थे वजह हसने की कभी दर्द का अब वो कारण बने है छल से छाला है किस्मत ने जिन्हे क्या अरमां कभी उनके पूरे हुए है । क्या कहे इन लकीरो में क्या लिखा है जो साथ है अपना बाकि धोखा जिया है बस है किस्मत का ये खेल सारा कभी मिले मोती कभी रेत का किनारा ।