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Love With Nature |
उफ़ ये मौसम
सुहानी सी फ़िज़ा
उसपे ये अदा
कैसे न हो फ़िदा
फिर भी इलज़ाम
कैसे नादान
कातिल है कौन
अब कहे कौन
हार गए
हम खुद ही दिल को
अब तुझको इलज़ाम दे कौन
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Love With Nature |
उफ़ ये मौसम
सुहानी सी फ़िज़ा
उसपे ये अदा
कैसे न हो फ़िदा
फिर भी इलज़ाम
कैसे नादान
कातिल है कौन
अब कहे कौन
इन ऊंचे पर्बतो की दोस्ती है दरख्तों से मिल रहे है गले अपने अपनों से समायी है पेड़ो की जड़े पर्बतो में इस तरह कुम्हार गूंधता है मिटटी को पानी...