किनारे | KINARE | Hindi Poetry on Distance Relationship | Love Relations
Kinare फासले किनारों के बस यूँ ही बढ़ गए एक दूसरे से मिलने की चाह में कितने आगे निकल गए । गहराई भी तो नापी न गयी नदी की कभी कोशिशे की भी तो बस रेत हाथ लगी । एक सोच का फर्क जो बदल न सका कमी तो पुल की थी जो कोई बन न सका । खाइशें किनारों की आखिर बदल गयी किस्मत के आगे उनकी न चली । अबतो नदी के किनारे भी बदल गए जो पहले किनारे रहते थे , वो अब किनारे कर गए । । #Short video on Kinaare...