Friday, October 21, 2022

निश्चल प्रेम | NISCHAL PREM | इक्तफाक़ | IKQTAFAQ | HINDI POETRY ON LOVE & REALITY

निश्चल प्रेम









इक्तफाक़ हुआ ऐसा 

कोहरा आंखों से छटा ऐसा 

देखा था जो आईना बरसो

उस चेहरे से दिल भरा ऐसा 


ओझल होते ही चेहरे के

मन की आँखें खुली

कोई तम्मना कोई उम्मीद 

रह न गयी


शीशे का क्या ? 

उसने तो चेहरा दिखाया 

मन को भरमा के उसे प्रेम बताया

लेकिन ,


निश्चल है प्रेम और उसकी भाषा 

पूंजी ऐसी जिसको सबने अपनाया 

न खोने का डर न पाने की इच्छा  

न जात - पात और द्वेष किसी का 


परवाह जिसमे एक दूजे की रहे 

और खुद से पहले तुम्हारा ध्यान रहे।  

Thursday, October 06, 2022

ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय श्लोक | Shiv Bhakti | Shivji Pooja | Shivratri

ॐ नमः शिवाय 

 






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ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्

हम पृथ्वीलोक, भुवर्लोक और स्वर्लोक में व्याप्त उस सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा के तेज का ध्यान करते हैं। हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की तरफ चलने के लिए परमात्मा का तेज प्रेरित करे।

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