फिर आई अमुआ के पेड़ पर बौर
खटास अम्बिया की
महक रही सड़क की ओर
फैला हुआ है सरपत जैसे
बना है खग विहग का डेरा
मिलती है राहगीरों को छाँव
मचता है कोलाहल सुभू शाम
कीट पतंगे चींटे माटे
वयस्त रहते घर इसमें बनाते
बच्चों की फौज रोज हल्ला मचाये
अमुआ के तले चल घर एक बनाये
पकड़म पकड़ाई या छुपम छुपाई
गिल्ली डंडा कभी चोर सिपाही
ना जाने क्या खेल है खेले
दादाजी आये सुबह दातुन लेने
है सबका सहारा आम का पेड़
सड़क किनारे लगा है पेड़
रहे इंतज़ार कोयल की कुहक का
सुहाना हो मौसम तो गाना ख़ुशी का
लगे अबके आम तो निशाना उम्मीद का
किसी चिके से न टूटे शीशा किसी का
है सबके हिस्से में आये पांच आम
खाना उसको नमक लगा के राधे शयाम
हो जाए मुश्किल टिकोरों का पकना
जब हो हमला वानर दल का
बजाये ताली और शोर मचाये
बच्चे बंदर आया चिल्लाये
काका की चाय इलाची महकाये
पेड़ के बगल में मजमा लगाए
रोज़ एक कहानी सुनाता आम के पेड़
है सबका अभिमान आम का पेड़
दो जीवन किसी को बनो कारण ख़ुशी का
लगाओ पेड़ ऐसा जो बने सहारा सभी का ||
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