Tuesday, March 15, 2022

परवाह | CARE | HINDI POETRY ON WELL-WISHER | THANKFUL | GRATITUDE

परवाह 







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एक एहसान हुआ तेरा

ये दिल गुलाम हुआ तेरा

मैंने तो कुछ न कहा

फिर भी हाले दिल 

जान लिया मेरा


दुश्मनो की भीड़ में

एक पहचान जो तुमसे हुई

जहाँ  अपने भी साथ छोड़ गए

वह साथ दे दिया मेरा 


न था यकीं खुद  पे भी

परछाइयों से भी डर लगता था

ऐसे में एक उम्मीद जगा

नया रास्ता दिखा गया कोई 


इतना ही साथ काफी है 

उमीदे मेरी ज़ादा नहीं

इस जिंदगी को दोस्त मेरे

ज़ादा परवाह की आदत नहीं । 

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  जहाँ चाह वहाँ राह खुश रहिये हर हाल  इसलिए कह रहे है  आपको राम राम