पतझड़ # Hindi Kavita On Autumn
पतझड़ ******************************** सुना है तुम्हे कहते हुए .. गम में आंहे भरते हुए के, अकेले हम ही नहीं तन्हा ! और भी है.. जीवन के मेले में बिछड़े हुए सुना है तुम्हे कहते हुए .. हर मौसम में ढाढंस बढ़ाते हुए के सीखो इन पत्तो से टिकना जो पतझड़ में भी है खुद से उमीदे लगाए हुए सुना है तुम्हे कहते हुए .. हर दिन को नया दिन बताते हुए के जीना है हरपल को .. खुशियूँ को दिल से लगाए हुए।