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Wednesday, November 10, 2021

ख्याल | four lines on Khayal or Care |Short Poetry on Love


ख्याल 

  

  





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  *** ख्याल ****                

हर वक़्त और हर पहर

क्या शाम और क्या सहर 

तेरा ख्याल है मुझे 

रहूँ चाहे किसी शहर !









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पर्बतो की दोस्ती है दरख्तों से # Nature'Love # गले लगा लू आज़ादी #श्रृंगार हुआ धरती का चमक रही बनके हरियाली #आज़ादी

इन ऊंचे पर्बतो की दोस्ती है दरख्तों से मिल रहे है गले अपने अपनों से  समायी है पेड़ो की जड़े पर्बतो में  इस तरह कुम्हार गूंधता है मिटटी को पानी...

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