बेक़रार हिंदी कविता * BEKARAR - HINDI KAVITA
** बेक़रार ** हो गया है प्यार अब दलीले देना बेकार है , कोई सूरत नज़र आती नहीं आईना देखना बेकार है । है आंखों से नीद गयी सपने देखना बेकार है , सब मुझको फरेब लगे अब होश में आना बेकार है । आदत है अब बिगड़ गयी शिकायत करना बेकार है , तेरे बिन मेरा जीना लगता मुझको दुश्वार है । । By Vinita