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Monday, October 30, 2023

सफर ऐ ज़िन्दगी में ठहराव नहीं है - Hindi poetry On Life

सफर ऐ ज़िन्दगी











एक ही जनम में जी ली है कई बार 

सफर ऐ ज़िन्दगी में ठहराव नहीं है


बिता हुआ मंज़र है आँखों के सामने 

बढ़ चुके है आगे मगर ऐतबार नहीं  है


रुकू किसी मोड़ पे तो सवाल है कई  

भागते है खुद से या पहचान नयी है 


क्या खो दिया है हम भी कभी जान न सके 

तलाशती आंखों को कई बार जुगनू दिखे 


कहना तो कुछ नहीं है एक शिकवा है ज़रा 

क्यू किराये की ज़िन्दगी में एहसान बहुत है 

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