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मृगतृष्णा * कविता - MRIGTRISHNA * HINDI POEM | Reality In LOVE and LIFE | Mirage

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Pls  Listen Mrigtrishna ( Reality Of Life )   to experience  more realistic poetry by single click on below Image . ******************************************* मृगतृष्णा कभी यूँही ख्याल आया तेरा  सामने कोई न था  पर चेहरा नज़र आया तेरा क्या बात है  क्या यही प्यार है ? तू नहीं फिर क्यों  ?  तेरी मौजूदगी का एहसास है।  जानते है  एक आवाज़ है  जो मेरे लिए खास है  और कुछ नहीं  बस एक पुराना साज़ है  कहते है  मोहब्बत अधूरी है ! क्या सच है ? जो न मिले शायद उन्ही की पूरी है क्यों  हैरान है ?  ज़िन्दगी एक प्यास है  यहाँ कुछ मृगतृष्णा नहीं  एक खूबसूरत रेगिस्तान है !