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Monday, September 20, 2021

मृगतृष्णा * कविता - MRIGTRISHNA * HINDI POEM | Reality In LOVE and LIFE | Mirage

Pls Listen Mrigtrishna ( Reality Of Life ) to experience  more realistic poetry by single click on below Image .


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मृगतृष्णा




कभी यूँही ख्याल आया तेरा 
सामने कोई न था 
पर चेहरा नज़र आया तेरा


क्या बात है  क्या यही प्यार है ?
तू नहीं फिर क्यों  ? 
तेरी मौजूदगी का एहसास है। 


जानते है  एक आवाज़ है 
जो मेरे लिए खास है 
और कुछ नहीं  बस एक पुराना साज़ है 


कहते है  मोहब्बत अधूरी है !
क्या सच है ?
जो न मिले शायद उन्ही की पूरी है


क्यों  हैरान है ?  ज़िन्दगी एक प्यास है 
यहाँ कुछ मृगतृष्णा नहीं 
एक खूबसूरत रेगिस्तान है !












 

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