Thursday, April 07, 2022

बिछड़ना हमें था | BICHADANA HAME THA | SAD POETRY ON LOVE

Short Poetry On बिछड़ना हमें था




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बिछड़ना हमें था











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सोचता हूँ  तुमसे  मुलाकात क्यों हुई 

क्यों हमारी इतनी बातें हुई 

तकलीफें ज़िन्दगी में कम न थी 

जो तेरी यादें भी उनमे शामिल हुई ! 


हर मुसीबतो से लड़ता रहा हूँ  

देर से ही सही पर जीतता रहा हूँ 

क्या पता था शिकस्त प्रेम में होगी

जीत के भी हार जाऊ ऐसी किस्मत होगी !


उम्र भर तेरा दुःख मुझको को खलेगा

हर कदम पे तेरा साया दिखेगा 

एक सवाल दिल हमेशा करेगा 

क्यों मिले थे हम जब बिछड़ना हमें था !

2 comments:

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