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Thursday, November 11, 2021

सुबह की चाय | Morning Tea | Short Poetry

 सुबह की चाय

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ये उगती सी धूप

महके से गुलाब

धीरे से कहना ,

कैसे है आप ?

बस यही है मेरे लिए 

सुबह की चाय , जनाब !!



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पर्बतो की दोस्ती है दरख्तों से # Nature'Love # गले लगा लू आज़ादी #श्रृंगार हुआ धरती का चमक रही बनके हरियाली #आज़ादी

इन ऊंचे पर्बतो की दोस्ती है दरख्तों से मिल रहे है गले अपने अपनों से  समायी है पेड़ो की जड़े पर्बतो में  इस तरह कुम्हार गूंधता है मिटटी को पानी...

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