कोंपले - #New Buds #Hindi Poem On leaves
Leaves : पत्तियाँ *********************************** धूप - छाव से बेखबर पतझड़ - बसंत से अंजान पेड़ो पर फिर आयी है कोंपले लेके एक नयी पहचान दमकती सी इठलाती हुई सजी हुई है डाली पे चमक रही हीरे जैसी वृक्षों की हर टहनी पे देख के मन है प्रस्सन हुआ बच्चा जैसा खिलखिला रहा इन धानी रंग की पत्तियों ने दरख्तों को सजा दिया देखने है इन्हे सारे मौसम वसंत, ग्रीष्म, वर्षा ,शरद हेमत और शीत ऋतू पत्तियाँ है पेड़ का अहम् भाग इनसे ही पेड़ का भोजन बनता और जीवो को प्राणवायु मिलता कोंपले से पत्ती बनने का सफर अपने आप में है एक सबक शाखाओं से अपनी जुड़े रहे स्वय को खुश और व्यस्त रखे l