शहर तेरा - हिंदी कविता
शहर तेरा ***************************************** छोड़ आये हम शहर तेरा देखी सारी झूठी खुशियां रंग ही फूलों से अलग हुए है, बस चेहरे पे चेहरा झूठी ही तस्सली देनी है बस अपनी -अपनी कहनी है सच क्या है ये पता नहीं अपने सिवा कोई दिखा नहीं अब क्या कहे तुझसे नादान ! के तू आज भी है "अनजान"।