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Tuesday, August 03, 2021

शहर तेरा - हिंदी कविता

 शहर तेरा

  




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छोड़ आये हम शहर तेरा

देखी सारी झूठी खुशियां

रंग ही फूलों से अलग हुए 

है, बस चेहरे पे चेहरा



झूठी ही तस्सली देनी है

बस अपनी -अपनी कहनी है 

सच क्या है ये पता नहीं 

अपने सिवा  कोई दिखा नहीं 


अब क्या कहे  तुझसे नादान !

के तू आज भी है "अनजान"।  



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