जहाँ कोई नहीं वहां तू है प्रभु
हम सब में है जो जल रही
वो तेरी ही तो लौ है प्रभु
क्या बोलू कुछ कह न सकु
तुम तो शब्दों की श्रृंखला हो प्रभु
उठते बैठते सोते जागते
लब पे रहता तेरा नाम प्रभु
तेरा कोई स्वरुप नहीं
फिर भी ख्याल आ जाता है
बंद करू जो आँखें अपनी
दर्शन तेरा हो जाता है
मेरे अंदर भीतर बाहर
गूंजता है तेरा नाम प्रभु
रहु कहीं मैं भगवन , लेकिन
तू रहता है मेरे साथ प्रभु ।।