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तुझसे ज़ादा तेरा ख्याल रखते है
तेरा ज़िक्र नहीं फ़िक्र करते है
नज़र न लगे तुझको ये सोचकर
काले धागे पे सब्र रखते है
बस हम कहते नहीं
लोग कह देते है ।।
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तुझसे ज़ादा तेरा ख्याल रखते है
तेरा ज़िक्र नहीं फ़िक्र करते है
नज़र न लगे तुझको ये सोचकर
काले धागे पे सब्र रखते है
बस हम कहते नहीं
लोग कह देते है ।।
जानके तूने सब खेल रचाया
साथ रहके मेरे मुझे दर दर भटकाया
दिया ज्ञान तूने था अज्ञानी मैं तो
ली ऐसी परीक्षा के जीना सिखाया
रहा ऊँगली थामे तू मेरी हमेशा
मैं अभागा ऐसा जो समझ न पाया
तेरे दिए सुख है तेरे दिए दुःख है
है काया भी तेरी मैं क्यू अभिमाया
न जानू कुछ मैं सब तुझको पता है
तेरे फैसलों में प्रभु मेरा भला है
मेरे लिए भगवन दुःख में है सुख ढूंढा
की ऐसी कृपा के दर्द भी मुझको भूला
तेरा किया हरदम प्रभु होता सही है
तू साथ रहता है मेरे मेरे पर दिखता नहीं है
जहाँ कोई नहीं वहां तू है प्रभु
हम सब में है जो जल रही
वो तेरी ही तो लौ है प्रभु
क्या बोलू कुछ कह न सकु
तुम तो शब्दों की श्रृंखला हो प्रभु
उठते बैठते सोते जागते
लब पे रहता तेरा नाम प्रभु
तेरा कोई स्वरुप नहीं
फिर भी ख्याल आ जाता है
बंद करू जो आँखें अपनी
दर्शन तेरा हो जाता है
मेरे अंदर भीतर बाहर
गूंजता है तेरा नाम प्रभु
रहु कहीं मैं भगवन , लेकिन
तू रहता है मेरे साथ प्रभु ।।
किसी रोज़ तुमसे कहेंगे
तेरी पलकों की छाए रहेंगे
सबकी नज़रों से खुद को छुपाके
तेरी बाहों में मेह्फूस रहेंगे
किसी रोज़ तुमसे कहेंगे
तेरी दुनिया में आके बसेंगे
फुर्सत से देखेंगे चेहरे को तेरे
निहारेंगे तुमको नैना ये मेरे
किसी रोज़ तुमसे कहेंगे
जीना का तेरे सहारा बनेंगे
जहाँ पूरे होंगे दोनों के सपने
ऐसा किसी गुलिस्तां में रहेंगे
अधूरा हो के भी पूरा हुआ है
कृष्णा तुम संग इश्क़ ऐसा हुआ है
है गजरे में जैसे समायी खुशबू
मुझ में तू ऐसे समाया हुआ है
जैसे चाँद संग रहते है तारे सितारे
नाचे मोर सावन में पपीहा पुकारे
करे कुहू कोयल और बदरा घिरआये
इन्ही बीच हम भी नभ बन बरस जाये
मिल मिटटी में खुशबू कभी अलग न हो पाए
बन नदिया की लहरें सागर से मिल जाये
हर रूप में बिखरा है प्रेम अपना
जो राधा कृष्णा को अलोकिक कर जाये
गोपाला प्रभु नाम थारो
गोपियन की मटकी तोड़ डारो
माखन देख तोरा जी ललचाए
नटखट कन्हैया बाज़ न आये
आंख मिचोली मैया के संग
रात दिन उनको सतायु
ऐसो छलियौ छैल छबीलो
हर कोई तोको नज़र लगायौ
बालों में है मोर पंख को
नैनन में तोरे कजरा सुहायो
छोटे से मुख में ब्रह्माण्ड दिखत है
कैसे कोई तोको जान पायो
राधा संग तोरी प्रीत पुरानी
गोपियन संग रास रचयओ
ऐसी लीला कान्हा तोरी
सुनत कहत मोरा दिन ढल जायौ
आज नहीं तो कल बनेंगे
मेरे बिगड़े काम
भोलेनाथ पे विश्वास मुझे है
वो सुनते मन की बात
देर है पर अंधेर नहीं
जाने सब संसार
परम पिता परमेश्वर
न करते कभी निराश
जो भी उनके दर पे आए
न जाये खाली हाथ।
हे भोलेभंडारी त्रिपुरारी
तुम हो जटाधारी
हाथ में त्रिशूल और माथे पे चंद्र
नंदी का साथ और सापों का संग
पल भर में मान जाते ऐसे भगवन
रूद्र रूप तेरा अति प्रचंड
हो भोलेनाथ प्रभु भक्तन की आस
कृपा करो इतनी रहु तेरा दास
परम पिता परमेश्वर देवो के देव
हे भोलेभंडारी त्रिपुरारी
मैं तेरे कदमो की रज
मेरा ये जीवन
प्रभु तुझको अर्पण।
यह पंक्तियाँ मंजिल के बारे में नहीं है
यात्रा के बारे में है इसलिए
रस्ते के हर कदम का आनंद लें
और खुश रहे !
यह पं
क्तियाँ मंजिल के बारे में नहीं है
यात्रा के बारे में है इसलिए
रस्ते के हर कदम का आनंद लें
और खुश रहे
एक बोझ दिल पे लिए
जी ली है ज़िन्दगी
मिलेंगे फिर कभी ये सोचके
जी ली है ज़िन्दगी
अलविदा कहके कभी
देखा नहीं मुड़के
सलाम को सलामती समझ
जी ली है ज़िन्दगी
आखिरी दीदार ए सूरत
याद है मुझको
जो सोचा नहीं कभी
वो हक़ीक़त देख ली हमने
मिला न फुर्सते सुकून कभी
जो हाले दिल कहते
बस आज कल के इंतज़ार में
जी ली है ज़िन्दगी
मिलाया तुमसे खुदाया
है रहमते उसकी
हाँ नाज़ करते तुमपे
जी ली है ज़िन्दगी
जिस पर श्री राम की कृपा होती है उस पर हर कोई कृपा करता है ।।
राधे राधे तेरा नाम
जपु निरंतर सुभू शाम
बनते मेरे बिगड़े काम
राधे माँ का लेके नाम
सब पे कृपा बरसाने वाली
कान्हा जी को हो अति प्यारी
श्री कृष्णा से पहले तेरा नाम
तेरे चरणों में मेरा प्रणाम
एक नज़र कृपा की करदो
भक्तो की अब झोली भरदो
निसदिन गए तेरे गुणगान
राधे राधे तेरे नाम
जय श्री राधे
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एक दूसरे के प्रति सेवा भाव आदर सत्कार और प्रेम में ही ईश्वर की सच्ची भक्ति है
क दूसरे के प्रति सेवा भाव
आदर सत्कार और प्रेम में ही
ईश्वर की सच्ची भक्ति है
एक
दूसरे के प्रति सेवा भाव
आदर सत्कार और प्रेम में ही
ईश्वर की सच्ची भक्ति है
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सर्वयापी प्रभु तुम
हारे का सहारा तुम
भटके हुए को राह दिखा दे
बांह पकड़ कर पार लगा दे
दिल से तुमको याद करे जो
अबतो उसको दरस दिखा दे
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सर्वयापी प्रभु तुम
हारे का सहारा तुम
भटके हुए को राह दिखा दे
बांह पकड़ कर पार लगा दे
दिल से तुमको याद करे जो
अबतो उसको दरस दिखा दे
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क्रोध में मौन रहना ही उत्तम मार्ग है
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
श्री कृष्णा कहते की मनुष्य को फाल की इच्छा किये बगैर अपने कर्त्वय को करते रहना चाहिए।
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मसरूफ है इस कदर इस ज़िन्दगी मे
रूबरू है हर पहर एक नयी कशीदगी मे ||
दिन की शुरुवात है और दिन ख़तम हो चला
रोज़ की तरह यूँही फिर ऐतबार हो चला ||
कह रही है वादियाँ, दरख्त और ये क्षितिज
सुकूं को जो तुझको दे रहा वो साथ साथ चल रहा ||
तमाशबीन है सभी और मौन हर शक़्स है
क्या दिलो में चल रहा ये जानता कौन है ||
कोई मिले कही कभी तो हाल उसका पूछ लो
इस मतलबी ज़हान में किसी को तो अपना लगो ||
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