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इंतज़ार है ! इस कदर के बीती पूरी रात है
क्या तुम मेरे साथ हो ! या तुम्हारे ख्यालात है
ज़ादा फरक नहीं है मगर कुछ ऐसी ही बात है
चाँद की ठंडक से ज़ादा लगता तेरा एहसास है l
इस दिल ने गुस्ताखी की है जो तेरा भ्रम कर बैठा
बस अब मानना मुश्किल है तेरा मेरे संग न रहना
जानता हूँ ! सब झूठ है पर फिर भी मैं इतराता हूँ
तू ना होक भी साथ रहे इस पहेली को सुलझाता हूँ
तू ना सही कोई बात नहीं तेरी यादों में सुकून में पाता हूँ