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श्री राधे कृष्णा |
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सागर है नयन
मुख में ब्रह्माण्ड
अधरों पे रहती है मुस्कान
सृष्टि के रचयिता
हो कृष्णा तुम तो
प्रभु ! मैं तेरे चरणों की रज समान
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श्री राधे कृष्णा |
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सागर है नयन
मुख में ब्रह्माण्ड
अधरों पे रहती है मुस्कान
सृष्टि के रचयिता
हो कृष्णा तुम तो
प्रभु ! मैं तेरे चरणों की रज समान
इन ऊंचे पर्बतो की दोस्ती है दरख्तों से मिल रहे है गले अपने अपनों से समायी है पेड़ो की जड़े पर्बतो में इस तरह कुम्हार गूंधता है मिटटी को पानी...