बेज़ार | AN EMOTIONAL POETRY ON LIFE


बेज़ार










क्या लिखा है तूने

 कभी पढ़ लिया होता ,

मुझे ज़िन्दगी देने से पहले

 तू भी इसे जी लिया होता 


एक एहसान मुझपे भी 

कर दिया होता

कभी मेरे साथ आके 

तू भी रह लिया होता । 


समझते हम भी 

तुझको ऐ ...खुदा !

ये जीवन  भी तूने 

अगर जी लिया होता  । 


जब  दूर तक कोई दिखाई नहीं देता ,

फिर तुझे भी अपनी किये 

पे पछतावा होता ।  


बस एक जवाब देदे मेरे खुदा मुझे  ,

तेरी ज़िन्दगी क्यों मुझको  

बेज़ार सी लगे । 

Comments

  1. काश की इस ज़िन्दगी को थोड़ा खुलकर जी लिया होता।

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  2. कभी मेरे साथ आके तू भी रह लिया होता ।
    फिर तुझे भी अपनी किये पे पछतावा होता
    मुझे ज़िन्दगी देने से पहले तू भी इसे जी लिया होता l
    हर दिन ब्यजत जीवन भी तूने अगर जी लिया होता ।

    ReplyDelete

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