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श्री राधे कृष्णा |
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सागर है नयन
मुख में ब्रह्माण्ड
अधरों पे रहती है मुस्कान
सृष्टि के रचयिता
हो कृष्णा तुम तो
प्रभु ! मैं तेरे चरणों की रज समान
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जहाँ कोई नहीं वहां तू है प्रभु हम सब में है जो जल रही वो तेरी ही तो लौ है प्रभु क्या बोलू कुछ कह न सकु तुम तो शब्दों की श्रृंखला हो प्रभु ...
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