आओ सुनते है एक कहानी
जंगल के राजा शेर की मनमानी
आंखों है लाल और भोंहे है तानी
कौन है भालू और कौन है हाथी
सब पे हुकूमत अपनी ज़मानी
चूहे बिल्ली तीतर बटेर ये सब है दरबारी
मंत्री लोमड़ी को बना दिया जिसने सबकी बुद्धि हरली
जानवरो की चालाकी सब अपनी गठरी में भरली
चीता, बाघ ,सियार, ज़ेबरा दिनभर करते सलामी
शोर मचाया कठफोड़वे ने अब राजा बनना मेरी बारी
खोरड़ कर दूंगा सिंघासन जिसकी लकड़ी सबसे निराली
गिलहरी कूद कूद चिलाये क्या है अपनी जान गवानी
बस एक दहाड़ होगी राजा की फिर तेरी शामत आनी
कोयल , बुलबुल , गोरैया भी कठफोड़वे के हित में बोले
सभी पक्षी मान गए बोले कठफोड़वे को राजा चुन ले
राजा बड़ा दिलवाला था मान गया वो सबकी बात
आने वाले शनिवार को होगी ताज पहनने की रात
बन गया राजा कठफोड़वाऔर लगे सब पक्षी गाने
पर एक दिन लाया शिकारी चुगने के लिए दाने
सर्दी की थी धूप और लगा चिडियो को फ़साने
एक -एक कर सब पक्षी फस गए लगे रोने चिल्लाने
बुलाने लगे कठफोड़वे को राजा राजा दोहराने
वो था पर शिकार पहले से उसके निशाने
घायल होकर गिरा परिन्दा लगा शेर शेर चिल्लाने
आते देख शेर को सब छोड़ वो भगा
आज़ाद हुई सब चिड़िया कैद से अपनी मूर्खता को माना
हाथ जोड़कर शेर से बोले बन जाओ हमारा राजा
बल बुद्धि और उदारता के गुड को हमने पहचाना
जंगल का राजा शेर बनेगा ये हम सबने ठाना ||
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