Friday, November 21, 2025

अब भी सुकून बाकी है, इस खुले आसमान के नीचे अब भी सुकून बाकी है

बीत रही है सुख - दुख के किस्सों की जिंदगी

कह रही है बढ़ती उमर रुकजा ए जिंदगी


माना तजुरबे है बहुत फिर भी सीखना बाकी है

रिश्ते में लगी गांठो को अभी सुलझाना बाकी है


कुछ चेहरे धुंधले हो गए उन्हें आंखों में उतारना बाकी है

कुछ बातें अधूरी रह गईं उन्हें पूरा करना बाकी है


दिल पे बोझ है जो उसे उतारना बाकी है

अलिंगन करके बीते कल को फिर से जीना बाकी है


राह में दिखे मंजर को फिर से दोहराना बाकी है

लब पे ले आए मुस्कान जो वो लम्हा देखना बाकी है


छूट गया जो टूटा तारा उसे फिर  से देखना बाकी है

चांदनी रात में चांद के साथ चलना बाकी है


दिल में कल्पनाएं हैं बहुत उन्हें कागज़ पर उतारना बाकी है
लगता है इस खुले आसमान के नीचे अब भी सुकून बाकी है..





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