Sunday, October 12, 2025

पर्बतो की दोस्ती है दरख्तों से # Nature'Love # गले लगा लू आज़ादी #श्रृंगार हुआ धरती का चमक रही बनके हरियाली #आज़ादी


इन ऊंचे पर्बतो की दोस्ती है दरख्तों से


मिल रहे है गले अपने अपनों से 


समायी है पेड़ो की जड़े पर्बतो में  इस तरह


कुम्हार गूंधता है मिटटी को पानी में जिस तरह 


ज़मीन पे बिखरे पड़े है पत्ते फैले है  गेसू की की तरह 

 

पर्वतीय ज़मीन लग रही धानी चुनर की तरह 


बरस रहे है सावन बनके काले मेघा सितारों की तरह 


इंद्रधनुष के रंग है बिखरे लग रहा सब नया नया


श्रृंगार हुआ है धरती का चमक रही बनके हरियाली


परबत खड़े  साथ साथ करते उनकी है रखवाली


चिड़िया पक्षी चहक रहे है झूम रही है डाली डाली


मन मेरा हो गया है उपवन देख मयूर की अठखेली


जी करता पंख फैला के छू लू नभ की लाली 


वनफूल बन मेहकु मैं भी गले लगा लू वादी वादी 

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