Sunday, September 21, 2025

वो सीता पे ऊँगली उठाने लगे # Ramayan # Society & Its Impact #RamSita #Ram Ki Lilla


 






 

 

मेरे अपने मुझको परखने लगे 
खुद अपना परिचय देने लगे 
सबित ना कर सके मुझको जब 
मेरे चारित्र पे ऊँगली उठाने लगे 

तमाशा देखना है आदत जिनकी 
वो किरदार मुझे समझने लगे 
जात पात और ऊंच नीच 
मुझे धरम अधर्म सिखलाने  लगे 

कल्पनाएं उनकी अपनी है
पर दूसरों पे तोहमत लगाने लगे 
मुखोटा उतरा नहीं जिनका कभी 
वो दर्पण मुझे दिखलाने  लगे 

मतिमंद और आडम्बरी
किचड़े में जो धसे हुए 
राम के लायक नहीं है सिय 
मुझे पवित्र से पतित बनाने लगे 

तिलक लागा और टिका कर 
मनघडंत कथा सुनाने  लगे 
जिनके अपने करम है काले
वो वैदेही पे ऊँगली उठाने लगे 

मर्यादा पुरुषोत्तम राम सही 
सीता को धारती में समाना था 
समाज की कुरीतियुओं  से 
कितना मुश्किल बच पाना था 

आज भी दे रही अग्निपरीक्षा 
कैसा ये दोष है 
सतयुग हो चाहे कलयुग 
औरत में ही खोट है
ये फैसला करने वाला 
आखिर समाज कौन है....?








1 comment:

  1. aapne is kavita se samaj me jo mahilao ke sath ho rha ha vo bakhubi sita ji ka udaharan deke samjhaya hai, aaj bhi ladkiyo or mahilao ke liye kuch bhi nhi badla or sabse badi vidambana to ye hai puruso ke sath milkar istriya bhi khub bura bhala Bolte hai tane sunate hai ,, aapki kavita bahot achhi hai isme jivan ki sacchai hai pr ye bhot dukhad hai🥺.

    ReplyDelete

Favourites

पर्बतो की दोस्ती है दरख्तों से # Nature'Love # गले लगा लू आज़ादी #श्रृंगार हुआ धरती का चमक रही बनके हरियाली #आज़ादी

इन ऊंचे पर्बतो की दोस्ती है दरख्तों से मिल रहे है गले अपने अपनों से  समायी है पेड़ो की जड़े पर्बतो में  इस तरह कुम्हार गूंधता है मिटटी को पानी...

Popular