खूबसूरत दृश्य जो मैंने देखा
वो है प्रकृति की देन बड़ी
और लगाओ पेड ,वनस्पतियां
जिनकी है हमको जरुरत बड़ी
अपनी धारती से मिलता
फसल , फूल ,फल का चांदी सोना
क्यों न इनका संचय करे हम
और ख़तम करे पेड़ो का कटना
हरियाली में जीवन है
इनसान तो क्या !
पशु पक्षी भी आभारी है
पहाड़, नदिया, पेड़ और जंगल
ईश्वर का ही रूप है
देते हमको जल ,जीवन जो
उनका रखवाला कौन है ?
जागरूक हो और आगे बढ़ो
प्राकृतिक सुंदरता न नष्ट करो
पुजनिया है धरती अपनी
इसको अपने सर माथे रखो
मिटे अपनी थकान सारी
आंखों को आराम मिले
सुन सकू जहाँ मैं अपने दिल की
धरती माँ तेरे तेरे चरणों में स्वर्ग मिले । ।
रचना सर्वोत्तम। सराहनीय।
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