अशआर (समय / वक़्त) #रूपए ने इंसान की कीमत घटा दी #Two Lines on Time/Reality
अशआर
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| (समय / वक़्त) |
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समय ने धुंद की चादर हटा दी
और वास्तविकता की पहचान करा दी
मुखोटे थे सुन्दर मासूम और निश्छल
वक़्त के थपेड़ो ने असलियत दिखा दी
वो धोखे में जीना खुदी में ही रहना
नए आईने ने वो पहचान मिटा दी
अब जैसा है चेहरा वैसा लगे तिलक
रूपए ने इंसान की कीमत घटा दी
वो लहज़ा वो अदब वो रीति रिवाज़
नए चलन ने वो तहज़ीब भुला दी

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