झूठ की परत चाहे कितनी दोहरस हो , सच सामने आएगा जरूर बस अपने समय का इंतजार करो
हर जिक्र में नाम है तेरा
जिंदा रहने के लिए ख्याल है तेरा
यूं ही नहीं आ जाते आंखो में अश्रु
रह-रह के मेरे सामने चेहरा आता है तेरा
और कितना बदनाम करोगे रिश्ते को मेरे
कब तक झूठी अफ़वाहे सुनेंगे लोग तेरे
खारा है अगर समंदर तो खारा ही रहेगा
दर्पण तो दर्पण है चेहरा उसमे असली ही दिखेगा
लोग झूठी बातों का पहाड़ बनाये बैठे थे
रेत के ढेर पे मचान सजाये बैठे थे
समय की लहरों ने पहाड़ों को समन्दर में मिला दिया
देखते ही देखते झूठे लोगों के मुँह से नकाब हटा दिया
झूठ की परत चाहे कितनी दोहरस हो
सच सामने आएगा जरूर
बस अपने समय का इंतजार करो ।।
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