Sunday, October 12, 2025

पर्बतो की दोस्ती है दरख्तों से # Nature'Love # गले लगा लू आज़ादी #श्रृंगार हुआ धरती का चमक रही बनके हरियाली #आज़ादी


इन ऊंचे पर्बतो की दोस्ती है दरख्तों से


मिल रहे है गले अपने अपनों से 


समायी है पेड़ो की जड़े पर्बतो में  इस तरह


कुम्हार गूंधता है मिटटी को पानी में जिस तरह 


ज़मीन पे बिखरे पड़े है पत्ते फैले है  गेसू की की तरह 

 

पर्वतीय ज़मीन लग रही धानी चुनर की तरह 


बरस रहे है सावन बनके काले मेघा सितारों की तरह 


इंद्रधनुष के रंग है बिखरे लग रहा सब नया नया


श्रृंगार हुआ है धरती का चमक रही बनके हरियाली


परबत खड़े  साथ साथ करते उनकी है रखवाली


चिड़िया पक्षी चहक रहे है झूम रही है डाली डाली


मन मेरा हो गया है उपवन देख मयूर की अठखेली


जी करता पंख फैला के छू लू नभ की लाली 


वनफूल बन मेहकु मैं भी गले लगा लू वादी वादी 

केतु : मुक्ति, प्यास, जिज्ञासा, सबकुछ और कुछनही #अपना ध्वजा फहराने वाला #देने वाला (केतु ) गृह #आध्यात्मिक गृह #Ketu

पलाश पुष्प शंका सम थार का ग्रह मस्तकम रौद्रंम रौद्रात्मकंम गौरंम, 

तं केतुम प्रणमाम्यहम अष्टभुजाय  विदमहे सूलहस्ताय धीमहि तन्नो केतु प्रचोदयात।। 



केतु : मुक्ति, प्यास, जिज्ञासा, सबकुछ और कुछनही ।। 


आज़ादी का बादल हो या खयालो का धुआँ

मौजूदगी है हर जगह पर ध्यान है कहा ?


देने वाला (केतु ) गृह है जो , आध्यात्मिक गृह है वो

अपना ध्वजा फहराने वाला देश विदेश घूमनेवाला 


आंखों से जो देख न पाए ,  लालच अभिमान कभी न भाए

सेवा भाव, ईश्वरीय भक्ति अध्यात्म जिसको अत्यंत भाए


जड़ से जो है जुड़ा हुआ,  प्रकृति में समां हुआ 

कुलदेवता और पित्तरो का आशीर्वाद लिया हुआ 


जो अंतर्मन में झाँक न पाया,  चैन उसको कहीं न आया

ज्ञात हुआ जब खुद का उसको तभी वो ज्ञानी कहलाया 


घाट घाट का पानी पीला दे , पल में बुद्धि भ्रष्ट करादे

क्रोध इतना प्रचंड के उम्र भर का पछतावा करादे


देने पे आये तो सर्वस्व दे , नियत देख बरक्कत दे 

सहज सरल मानव को  - केतु मुक्ति का मार्ग दे 


छल कपट और द्वेष से दूर ,निश्छल ,निष्पक्ष और प्रेम भरपूर 

प्रभु जिसके चित में बसे केतु महराज उसपे कृपा करे 


ध्यान मग्न जो अपने में रहे , प्रभु भक्ति  में लीन रहे

बंधनों से मुक्त करादे जन्म मरण के फेर मिटा दे


ऐसे सर्वोत्तम केतु गृह को मेरा बारंबार नमन  
ॐ केँ केतवे नमः: 


कृतज्ञ, कृपालु, संत, भक्त ,कर्म प्रधान और सेवादार 

कलयुग को भी सतयुग करते जो लेते है हरी का नाम 

Tuesday, October 07, 2025

करवाचौथ # Karwachauth # हारियाली तीज # श्रृंगार

इत्र सी मेह्कुं

हीरे सी दमकु

तेरा ख्याल आये तो

कुछ और निखर लू 


आंखों में चमके मेरे ख्वाब सारे 

लबो पे रहते है गीत  प्यारे 

मेहँदी तेरे नाम की  

हाथो में  रचालू 

तेरा ख्याल आये तो

कुछ और निखर लू 


माथे पे चमके 

तेरे नाम के सितारे 

मंगिया में लगाके 

सेन्हूरावा हमारे 


परिणय हुआ तुम संग

पिया रिश्ता जन्म का 

ईश्वर की कृपा रहे तुमपे हमेशा 

रखु करवाचौथ का व्रत मैं हमेशा।। 
















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