Sunday, September 28, 2025

खुश रहो और सबको खुश रहने दो # ईश्वर का आश्रय है #सृष्टि की हरेक रचना का आभार









घर में आज अकेली थी

कविता ही लिखने बैठी थी

देख लिया जब इसको मैंने

ये खिड़की में  दुप्की थी


न जाने कितना संयम है

घंटो तक ना हिलती है

एकटक है देख रही

एकाग्रता इसकी गहरी है


तय माँ लक्ष्मी का घर पे आना

अगर लक्ष्मी पूजन के दिन 

छुछुंदर या छिपकली का 

घर में  दिख जाना  है


शुभ है इनका दीवाली  के दिन आना 

माँ लक्ष्मी की कृपा को पाना 


माना घर अंगना है सबका

पर पालतू पशु , पक्षी और जीव जंतु

इनका भी यही ठिकाना है

करते ये भी देखभाल

इनका भी घर में  आना जाना है 


ईश्वर का आश्रय है अगर तुम्हे 

तो इनको भी आश्रय दो

सृष्टि की हरेक रचना का 

आभार व्यक्त किया करो 


एक कौर चावल चिड़िया को

एक रोटी सड़क की गइया को

कभी पानी किसी प्यासे को

मीठे बोल ठेलेवालों को


दिल अपना यारो बड़ा करो

खुश रहो और सबको खुश रहने दो !!

Sunday, September 21, 2025

वो सीता पे ऊँगली उठाने लगे # Ramayan # Society & Its Impact #RamSita #Ram Ki Lilla


 






 

 

मेरे अपने मुझको परखने लगे 
खुद अपना परिचय देने लगे 
सबित ना कर सके मुझको जब 
मेरे चारित्र पे ऊँगली उठाने लगे 

तमाशा देखना है आदत जिनकी 
वो किरदार मुझे समझने लगे 
जात पात और ऊंच नीच 
मुझे धरम अधर्म सिखलाने  लगे 

कल्पनाएं उनकी अपनी है
पर दूसरों पे तोहमत लगाने लगे 
मुखोटा उतरा नहीं जिनका कभी 
वो दर्पण मुझे दिखलाने  लगे 

मतिमंद और आडम्बरी
किचड़े में जो धसे हुए 
राम के लायक नहीं है सिय 
मुझे पवित्र से पतित बनाने लगे 

तिलक लागा और टिका कर 
मनघडंत कथा सुनाने  लगे 
जिनके अपने करम है काले
वो वैदेही पे ऊँगली उठाने लगे 

मर्यादा पुरुषोत्तम राम सही 
सीता को धारती में समाना था 
समाज की कुरीतियुओं  से 
कितना मुश्किल बच पाना था 

आज भी दे रही अग्निपरीक्षा 
कैसा ये दोष है 
सतयुग हो चाहे कलयुग 
औरत में ही खोट है
ये फैसला करने वाला 
आखिर समाज कौन है....?








Saturday, September 20, 2025

धरती माँ तेरे तेरे चरणों में स्वर्ग मिले # प्रकृति की देन #Nature Is The Real Treasure # Nature Is The Source Of Our Life Protect & Preserve It

खूबसूरत दृश्य जो मैंने  देखा

वो है प्रकृति की देन बड़ी 

और  लगाओ पेड ,वनस्पतियां 

जिनकी  है हमको  जरुरत बड़ी 


अपनी धारती से मिलता 

फसल , फूल ,फल का चांदी सोना 

क्यों न इनका संचय करे हम 

और ख़तम करे पेड़ो  का कटना 


हरियाली में जीवन है 

इनसान तो क्या !

पशु पक्षी भी आभारी है 


पहाड़, नदिया, पेड़ और जंगल 

ईश्वर का ही रूप है

देते हमको जल ,जीवन जो

उनका रखवाला कौन है ?


जागरूक हो और आगे बढ़ो

प्राकृतिक सुंदरता न नष्ट करो 

पुजनिया है धरती अपनी 

इसको अपने सर माथे रखो 


मिटे अपनी थकान सारी

आंखों को आराम मिले

सुन सकू जहाँ मैं अपने दिल की 

धरती माँ  तेरे तेरे चरणों में स्वर्ग मिले । । 












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पर्बतो की दोस्ती है दरख्तों से # Nature'Love # गले लग जाऊ दरख्तों से #श्रृंगार हुआ है धरती का चमक रही बनके हरियाली

इन ऊंचे पर्बतो की दोस्ती है दरख्तों से मिल रहे है गले अपने अपनों से  समायी है पेड़ो की जड़े पर्बतो में  इस तरह कुम्हार गूंधता है मिटटी को पानी...

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