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Forgive |
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नसीबा अब और किस्से न बना
हक़ीक़त में रहने दे सपने न दिखा
जानता हूँ दगा मिला है अपनों से
तू फिर माफ़ करदे और ये दूरियां मिटा
Hello Friends, you will find variety of Melodious & a Imaginative Poetries like Friendship, Love, First Meet, Memories, Desires, Happiness, and Many More On my Blog. Themisvi.com .
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Forgive |
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नसीबा अब और किस्से न बना
हक़ीक़त में रहने दे सपने न दिखा
जानता हूँ दगा मिला है अपनों से
तू फिर माफ़ करदे और ये दूरियां मिटा
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एक तसुव्वर एक ख्याल एक इंतज़ार है
ज़िन्दगी और कुछ नहीं अधूरा ख्वाब है
एक जुस्तुजू एक एहसास एक इक्तफाक़ है
राहें है बेशुमार गर मंज़िल मुहाल है
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रेत का किनारा |
ये किस्मत है जो खेल खेलती है
रेगिस्तान में भी पानी देखती है
जो मिल नहीं सकता मिलाती है उससे
बंजर भूमि में भी हरयाली देखती है।
हम तो कठपुतली है हाथों के इसकी
मन चाहा हमसे ये खेल खेलती है
जिन राहो को पीछे छोड़ आये है
वही से गुजरने को फिर कहती है ।
जो बने थे वजह हसने की कभी
दर्द का अब वो कारण बने है
छल से छाला है किस्मत ने जिन्हे
क्या अरमां कभी उनके पूरे हुए है ।
क्या कहे इन लकीरो में क्या लिखा है
जो साथ है अपना बाकि धोखा जिया है
बस है किस्मत का ये खेल सारा
कभी मिले मोती कभी रेत का किनारा ।
HINDI POETRY ON LOVE, EQUALITY, UNITY & FREEDOM
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इस धरा से दूर गगन से दूर चले
गर तुम साथ दो तो नए सफर पे चले
खाइशो से परे उमीदों से बेखबर
हो सुकून जहाँ ऐसी डगर पे चले
कोई शिकवा गिला किसी को न रहे
जहाँ सब हो एक समान ऐसे गुलिस्तां में चले
जहाँ दुख दर्द किसी को छू न सके
चल ऐसी कोई दुनिया बसाने चले
सब धर्मो पे विश्वास और एकता रहे
एक मत हो सबका कोई न बंधन रहे
एक ही मंज़िल एक रास्ता रहे
जहाँ प्रेम ही हो भाषा ऐसी आस्था रहे
इस धरा से दूर गगन से दूर चले
गर तुम साथ दो तो नए सफर पे चले।
Pls enjoy the short video on abv poetry
क्यों हमारी इतनी बातें हुई
तकलीफें ज़िन्दगी में कम न थी
जो तेरी यादें भी उनमे शामिल हुई !
हर मुसीबतो से लड़ता रहा हूँ
देर से ही सही पर जीतता रहा हूँ
क्या पता था शिकस्त प्रेम में होगी
जीत के भी हार जाऊ ऐसी किस्मत होगी !
उम्र भर तेरा दुःख मुझको को खलेगा
हर कदम पे तेरा साया दिखेगा
एक सवाल दिल हमेशा करेगा
क्यों मिले थे हम जब बिछड़ना हमें था !
इन ऊंचे पर्बतो की दोस्ती है दरख्तों से मिल रहे है गले अपने अपनों से समायी है पेड़ो की जड़े पर्बतो में इस तरह कुम्हार गूंधता है मिटटी को पानी...