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Love With Nature |
उफ़ ये मौसम
सुहानी सी फ़िज़ा
उसपे ये अदा
कैसे न हो फ़िदा
फिर भी इलज़ाम
कैसे नादान
कातिल है कौन
अब कहे * कौन
हार गए
हम खुद ही दिल को
अब तुझको इलज़ाम दे कौन ?
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जहाँ कोई नहीं वहां तू है प्रभु हम सब में है जो जल रही वो तेरी ही तो लौ है प्रभु क्या बोलू कुछ कह न सकु तुम तो शब्दों की श्रृंखला हो प्रभु ...