क्या अब भी इम्तिहान है ! #Hindi Poetry on life
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| Life इम्तिहान है |
ये कैसा एहसास है
के दर्द भी अब रास है
बोझल है आँखें थकान से
न जाने किसकी आस है
कह रही है झुकते उठते
खुद से ही ऐतराज़ है
छलावे की ज़िन्दगी में
किसपे ऐतबार है !
मूँद ली ऑंखें अब
दीखता सबकुछ साफ़ है
क्यू होगा अब उज्र किसी से
हम भी तो नादान है
चल रहे है भेड़ चाल
ये भी कहा आसान है
कलेजा रख दिया निकाल के
क्या अब भी इम्तिहान है !

इसी का नाम तो ज़िन्दगी है जहाँ हर कदम पर इम्तेहान है।
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