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क्या अब भी इम्तिहान है ! #Hindi Poetry on life

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Life   इम्तिहान है  ये कैसा एहसास है के दर्द भी अब रास है  बोझल है आँखें थकान से न जाने किसकी आस है  कह रही है झुकते उठते  खुद से ही ऐतराज़ है छलावे की ज़िन्दगी में   किसपे ऐतबार है  ! मूँद ली ऑंखें अब दीखता सबकुछ साफ़ है क्यू होगा अब उज्र किसी से हम भी तो नादान है  चल रहे है भेड़ चाल  ये भी कहा आसान है कलेजा रख दिया निकाल के क्या अब भी इम्तिहान है !

सफर ऐ ज़िन्दगी में ठहराव नहीं है - Hindi poetry On Life

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सफर ऐ ज़िन्दगी एक ही जनम में जी ली है कई बार  सफर ऐ ज़िन्दगी में ठहराव नहीं है बिता हुआ मंज़र है आँखों के सामने  बढ़ चुके है आगे मगर ऐतबार नहीं  है रुकू किसी मोड़ पे तो सवाल है कई   भागते है खुद से या पहचान नयी है  क्या खो दिया है हम भी कभी जान न सके  तलाशती आंखों को कई बार जुगनू दिखे  कहना तो कुछ नहीं है एक शिकवा है ज़रा  क्यू किराये की ज़िन्दगी में एहसान बहुत है